अजातशत्रु व्यक्तित्व को अंतिम विदाई – स्व. भिकचंद कपुरचंदजी मुथा सर का जीवनकार्य

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पाचोरा – शहर के वरिष्ठ व्यक्तित्व, श्री गो. से. हाईस्कूल के पूर्व पर्यवेक्षक और पाचोरा जैन श्रावक संघ के वरिष्ठ सदस्य स्व. भिकचंद कपुरचंद मुथा ने 15 जनवरी 2025 को सुबह 5 बजे 76 वर्ष की आयु में अंतिम सांस ली। उनके निधन से पाचोरा शहर ने एक निस्वार्थ सेवाभावी, आदर्श शिक्षक और समाज का सच्चा आधारस्तंभ खो दिया है।
        अंतिम यात्रा का मूक साक्षी
स्व. मुथा सर की अंतिम यात्रा आज दोपहर 3:30 बजे संघवी कॉलोनी स्थित निवास स्थान से निकलेगी। उनके अंतिम संस्कार में शहर के विभिन्न क्षेत्रों के गणमान्य व्यक्ति, जैन समाज के प्रमुख सदस्य और आम नागरिक बड़ी संख्या में शामिल होंगे। उनके कार्यों की याद में सभी ने उन्हें श्रद्धांजलि दी है। साप्ताहिक झुंज और ध्येय न्यूज परिवार भी इस दुख की घड़ी में सहभागी है और उनके परिवार को सांतवना प्रदान करने के लिए ईश्वर से प्रार्थना करता है।
      स्वतंत्रता सेनानी पिता की प्रेरणा और परिवार की जिम्मेदारी
    स्व. मुथा सर स्वतंत्रता सेनानी स्व. कपुरचंद नथमल मुथा के ज्येष्ठ सुपुत्र थे। उनके पिता ने देश के लिए जो योगदान दिया, वह स्व. मुथा सर के जीवन में प्रेरणा स्रोत बना। पिता के निधन के बाद उन्होंने अपने माता-पिता की भूमिका निभाते हुए अपनी मां, चार भाइयों और एक बहन की जिम्मेदारी अपने कंधों पर ले ली। परिवार के हर सदस्य की शिक्षा, नौकरी और विवाह की आवश्यकताएं उन्होंने निस्वार्थ रूप से पूरी कीं।
      बच्चों को स्वावलंबन का पाठ
स्व. मुथा सर ने अपने तीन बेटों – दीपक, रवि, और चेतन – को स्वावलंबन का पाठ पढ़ाया। उन्होंने अपने बेटों को स्कूल के दिनों से ही व्यवसाय का महत्व समझाया। उनके मार्गदर्शन में बेटों ने “अपेक्षित” और “बालविद्या” जैसी शैक्षिक सामग्री बेचने का कार्य शुरू किया। बाद में, उन्होंने “सत्यम पुस्तकालय” नामक एक प्रतिष्ठित व्यवसाय स्थापित किया, जो न केवल पाचोरा बल्कि पूरे जलगांव जिले में अपनी पहचान बना चुका है।
      शिक्षा और जरूरतमंद छात्रों के लिए योगदान
    श्री गो. से. हाईस्कूल में पर्यवेक्षक के रूप में काम करते हुए स्व. मुथा सर ने छात्रों की शैक्षणिक उन्नति के लिए कई पहल कीं। उन्होंने जरूरतमंद छात्रों को किताबें, कॉपियां और कपड़े वितरित किए। उनकी मदद का उद्देश्य केवल समाज को शिक्षा के प्रति जागरूक करना था। उन्होंने कई गरीब बच्चों को गोद लिया और उनकी शिक्षा पूरी होने तक उनकी मदद की। इस काम का कभी उन्होंने प्रचार नहीं किया।
     अन्नछत्र, पनपोई और ठंड में जरूरतमंदों की मदद
    बस स्टैंड के पास की पनपोई और जामनेर रोड पर अन्नछत्र स्व. मुथा सर की समाज सेवा के प्रतीक थे। इन दोनों उपक्रमों के माध्यम से उन्होंने प्यासे और भूखे लोगों की मदद की। सर्दियों में गरीबों को राहत पहुंचाने के लिए वे रात में कंबल लेकर निकलते थे। जहां भी ठंड में ठिठुरते हुए लोग दिखते, वे उनके ऊपर कंबल डालकर आगे बढ़ जाते। यह सेवा उन्होंने अपने अंतिम समय तक जारी रखी।
    जैन समाज के प्रति विशेष योगदान
पाचोरा जैन श्रावक संघ के वरिष्ठ सदस्य के रूप में उन्होंने धार्मिक कार्यों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। वर्धमान नागरी सहकारी पतसंस्था के सलाहकार के रूप में भी उन्होंने अपने अनुभव का लाभ समाज को दिया। जाति, धर्म या वर्ग का भेदभाव किए बिना उन्होंने हर जरूरतमंद की मदद की, जिससे उन्हें समाज में अपार सम्मान मिला।
     उनका अजातशत्रु व्यक्तित्व
स्व. मुथा सर वास्तव में अजातशत्रु थे। उनके व्यक्तित्व में निस्वार्थता और सादगी का अनूठा मेल था। उन्होंने अपने कार्य को कभी भी बड़ा दिखाने का प्रयास नहीं किया, बल्कि इसे समाज की भलाई के लिए किया। उनके शांत और सौम्य स्वभाव ने उन्हें सभी का प्रिय बना दिया।
      श्रद्धांजलि और स्मरण
स्व. भिकचंद कपुरचंद मुथा को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए यह कहना उचित होगा कि उनकी सेवाभावी सोच और कर्तव्यनिष्ठा का अनुसरण करना ही उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी। उनका निधन समाज के लिए अपूरणीय क्षति है, लेकिन उनकी शिक्षाएं और योगदान सदैव प्रेरणादायक बने रहेंगे।
ईश्वर उनकी आत्मा को शांति प्रदान करें।

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