परंपराएँ तोड़ते हुए: भारत के औद्योगिक क्षेत्र में महिलाओं की नई पहचान – Principal Deepak Baviskar

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नासिक – कभी केवल सिलाई, ब्यूटी पार्लर या फैशन डिज़ाइन तक सीमित रहने वाली महिलाएँ आज मशीन वेल्ड कर रही हैं, इंजन असेंबल कर रही हैं और प्रोडक्शन लाइनों की प्रमुख बन रही हैं। महाराष्ट्र के औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों (आईटीआई) में एक शांत क्रांति चल रही है, जो साबित कर रही है कि महिलाएँ अब दर्शक मात्र नहीं बल्कि भारत की औद्योगिक विकास यात्रा की असली ताकत हैं। नीता सिद्धार्थ माली की कहानी इसका सबसे बड़ा उदाहरण है। एक साधारण परिवार से आने वाली नीता ने 2005–2007 के बीच नासिक महिला आईटीआई से इलेक्ट्रॉनिक्स मैकेनिक का प्रशिक्षण लिया। इसके बाद उन्होंने रिशभ इंस्ट्रूमेंट्स प्रा. लि. में अप्रेंटिस के रूप में शुरुआत की, नैश रोबोटिक्स में काम किया और आज वह एक महिला उत्पादन इकाई की लाइन इंचार्ज और प्रोडक्शन हेड हैं। इसी तरह, प्रणाली सपटुते, जिन्होंने ड्राफ्ट्समैन मैकेनिक का प्रशिक्षण लिया, आज अनुसंधान एवं विकास डिज़ाइन विभाग में कार्यरत हैं। जीजाबाई गवली, इलेक्ट्रॉनिक्स मैकेनिक की प्रशिक्षु, अब गोग्गटे इलेक्ट्रो सिस्टम्स प्रा. लि. में प्रोडक्शन हेड के पद पर हैं। वहीं दीपाली कुलकर्णी ने आईटीआई प्रशिक्षण के बाद स्वयं की फैक्ट्री स्थापित कर सतपुर औद्योगिक क्षेत्र में उद्यमिता का उदाहरण पेश किया है। अम्रपाली सपकाले, मशिनिस्ट कोर्स पूरा करने के बाद अब भारतीय रेल (भुसावल) में तकनीशियन के पद पर कार्यरत हैं। इन कहानियों ने यह सोच बदल दी है कि महिलाएँ केवल पारंपरिक क्षेत्रों तक ही सीमित हैं। पहले जहाँ कंपनियाँ महिलाओं को शॉप फ्लोर पर नियुक्त करने से हिचकिचाती थीं, वहीं आज महिंद्रा एंड महिंद्रा और टाटा मोटर्स जैसी कंपनियाँ न केवल उन्हें रोजगार दे रही हैं बल्कि विशेष महिला उत्पादन लाइनें भी तैयार कर रही हैं। महिलाएँ अब वाहनों की पेंटिंग से लेकर इंजन असेंबली तक की ज़िम्मेदारी संभाल रही हैं। परिणाम भी उल्लेखनीय हैं – 80% से अधिक महिला प्रशिक्षुओं को अंतिम परीक्षा से पहले ही कैम्पस इंटरव्यू के माध्यम से नौकरी मिल जाती है। इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी जैसे क्षेत्रों में, जहाँ अत्यधिक शुद्धता की आवश्यकता होती है, महिलाओं की सटीकता उन्हें विशेष लाभ देती है। इसी कारण कई कंपनियाँ पूरी की पूरी बैच को भर्ती कर रही हैं। वर्तमान में महाराष्ट्र में 419 सरकारी आईटीआई संचालित हैं, जो 83 विभिन्न व्यावसायिक पाठ्यक्रमों के माध्यम से हर साल 1 लाख से अधिक विद्यार्थियों को प्रशिक्षण देते हैं। इनमें 30% सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित हैं। इसके अतिरिक्त, 15 विशेष महिला आईटीआई भी हैं जहाँ 24 ट्रेड्स में हर साल 4,000 से अधिक महिलाओं को प्रशिक्षण दिया जाता है। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि इसमें आयु की कोई सीमा नहीं है – 14 वर्ष की बालिकाओं से लेकर 50 वर्ष से अधिक आयु की महिलाएँ भी इसमें प्रवेश ले सकती हैं। नासिक में योगिता मोरे और उनकी बेटी आरती मोरे ने साथ-साथ अलग-अलग ट्रेड में दाखिला लिया है, जबकि 56 वर्षीय नूतन हेब्बड़े ने हाल ही में कंप्यूटर ऑपरेटर एवं प्रोग्रामिंग असिस्टेंट का कोर्स पूरा किया है। यह परिवर्तन केवल रोजगार का नहीं बल्कि सम्मान, आत्मनिर्भरता और बाधाएँ तोड़ने का प्रतीक है। औद्योगिक क्षेत्र, जो कभी पुरुष प्रधान माना जाता था, आज महिलाओं की दक्षता और संकल्प से नया आकार ले रहा है। उनकी सफलता न केवल उन्हें सशक्त बना रही है, बल्कि आत्मनिर्भर भारत के स्वप्न को भी साकार कर रही है। सचमुच, जब महिलाएँ आगे बढ़ती हैं, तो राष्ट्र भी आगे बढ़ता है।           -Deepak Vijaya Bhaskar Baviskar
Principal
Sant Mirabai Industrial Training Institute (Women),Nashik Mo-8275270548

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