दिल्ली के छत्रपति शिवाजी महाराज साहित्य नगरी (तालकटोरा स्टेडियम) में 21 से 23 फरवरी 2025 के बीच आयोजित होने वाले 18वें अखिल भारतीय मराठी साहित्य सम्मेलन के लिए महाराष्ट्र के जलगांव जिले के भडगांव तहसील के बांबरुड गांव निवासी और भडगांव महाविद्यालय के पूर्व प्राचार्य सुनील बाबूराव पाटिल को विशेष आमंत्रण भेजा गया है। सरहद, पुणे और अखिल भारतीय मराठी साहित्य महामंडल के संयुक्त आयोजन में यह प्रतिष्ठित साहित्य सम्मेलन हो रहा है। इस सम्मेलन में पाटिल जी की उपस्थिति बेहद सम्मानजनक मानी जा रही है।
अखिल भारतीय मराठी साहित्य सम्मेलन का मराठी साहित्य के इतिहास में अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान है। 71 साल पहले दिल्ली में हुए साहित्य सम्मेलन का उद्घाटन तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने किया था। उस समय सम्मेलन के अध्यक्ष लक्ष्मणशास्त्री जोशी थे, जिन्होंने मराठी साहित्य को प्राचीन परंपरा और आधुनिकता का संगम प्रदान किया। अब 7 दशकों के बाद, एक बार फिर दिल्ली में मराठी साहित्य प्रेमियों के लिए यह भव्य आयोजन हो रहा है, जिससे साहित्यिक दृष्टिकोण को नई ऊंचाई मिलेगी।
प्राचार्य सुनील बाबूराव पाटिल मराठी साहित्य, शिक्षा और समाजसेवा के क्षेत्र में एक आदरणीय नाम हैं। भडगांव महाविद्यालय के पूर्व प्राचार्य के रूप में उन्होंने कई छात्रों को शिक्षा के माध्यम से सशक्त बनाया है। बांबरुड जैसे ग्रामीण क्षेत्र से आने वाले पाटिल जी ने अपनी मेहनत और लगन से साहित्य और शिक्षा के क्षेत्र में एक अलग पहचान बनाई है। उनके साहित्यिक, शैक्षणिक और सामाजिक योगदान को देखते हुए उन्हें इस सम्मेलन के लिए आमंत्रित किया गया है।
इस सम्मेलन का उद्घाटन भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथों होगा, और सम्मेलन के अध्यक्ष के रूप में वरिष्ठ नेता एवं पद्मभूषण शरद पवार का चयन किया गया है। इस सम्मेलन में विविध विषयों पर चर्चा सत्र, साहित्य वाचन और सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे।
विशेष रूप से “आनंदाची गोफळ” (आनंद का फल) विषय पर 22 फरवरी को होने वाली परिचर्चा आकर्षण का केंद्र होगी। इस सत्र में देशभर के प्रमुख साहित्यकार और विचारक भाग लेंगे और मराठी साहित्य के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा करेंगे।
भडगांव तहसील के ग्रामीण क्षेत्र से आए प्रोफेसर पाटिल को दिया गया यह आमंत्रण न केवल उनका सम्मान है, बल्कि यह मराठी साहित्य से जुड़े हर व्यक्ति का गौरव भी है। उनके प्रतिनिधित्व के माध्यम से ग्रामीण महाराष्ट्र का साहित्यिक योगदान राष्ट्रीय स्तर पर रेखांकित होगा। उनके अनुभव और ज्ञान का इस सम्मेलन में बड़ा प्रभाव पड़ेगा।
साहित्य, संस्कृति और भाषा के संरक्षण के लिए साहित्य सम्मेलन हमेशा से एक महत्वपूर्ण मंच रहा है। दिल्ली जैसे देश की राजधानी में इस सम्मेलन का आयोजन मराठी भाषा के राष्ट्रीय प्रचार-प्रसार के लिए सहायक होगा। यह सम्मेलन मराठी साहित्यिक परंपरा को सहेजते हुए आधुनिकता के साथ जोड़ने का प्रयास करेगा, जो नई पीढ़ी को प्रेरणा देगा।
पूरा महाराष्ट्र और देशभर के साहित्य प्रेमी इस सम्मेलन का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं। भुतपूर्व प्राचार्य सुनील पाटिल जैसे गुणी व्यक्तित्व की उपस्थिति इस सम्मेलन को और भी प्रभावशाली और प्रेरणादायक बनाएगी। उनके योगदान से मराठी साहित्य की गरिमा और भी बढ़ेगी।
18वां अखिल भारतीय मराठी साहित्य सम्मेलन केवल एक साहित्यिक आयोजन नहीं, बल्कि यह मराठी भाषा के संरक्षण और गौरव का उत्सव है। प्राचार्य सुनील पाटिल को मिला यह सम्मान पूरे जलगांव जिले के लिए गर्व की बात है। उनकी भागीदारी मराठी साहित्य के इस सफर को नई दिशा देने में सहायक होगी, ऐसी उम्मीद की जा रही है।
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