रक्षाबंधन विशेष: श्रद्धा का त्योहार, अफवाहों से दूर रहें, शुभ मुहूर्त में मनाएं!-समाधान गुरुजी

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हिंदू धर्म में त्योहारों का विशेष महत्व है। हमारी संस्कृति में प्रत्येक पर्व किसी खास कारण और भावना को व्यक्त करने के लिए मनाया जाता है। उनमें भाई-बहन के अटूट प्रेम का प्रतीक रक्षाबंधन का त्योहार अत्यंत पवित्र और भावनात्मक होता है। इस दिन बहन अपने भाई की दाहिनी कलाई पर राखी बांधकर उसकी लंबी उम्र और सुरक्षा की कामना करती है, जबकि भाई भी उसकी रक्षा का वचन देता है। यह परंपरा केवल धार्मिक नहीं, बल्कि सामाजिक रिश्तों को भी मजबूत करने वाली है। लेकिन जैसे-जैसे त्योहार नजदीक आता है, हमारे चारों ओर कई तरह की अफवाहें, अंधविश्वास और भ्रम फैलाए जाते हैं। खासकर “शनिवार है”, “भद्राकाल है”, “इस दिन राखी नहीं बांधनी चाहिए” जैसी बातें सोशल मीडिया से लेकर मंदिरों तक सुनाई देती हैं। इससे आम जनता के मन में भ्रम उत्पन्न होता है कि रक्षाबंधन मनाना चाहिए या नहीं? इस संदर्भ में, ज्योतिष शास्त्रज्ञ समाधान गुरुजी जरगावकर के अनुसार, ऐसी अफवाहों पर विश्वास करने के बजाय शास्त्र और श्रद्धा दोनों को ध्यान में रखते हुए रक्षाबंधन मनाना अधिक उचित होता है। क्योंकि प्रत्येक त्योहार का उद्देश्य लोगों के मन में प्रेम, एकता और सकारात्मकता जगाना होता है, न कि डर या अंधविश्वास फैलाना। इस वर्ष रक्षाबंधन 9 अगस्त 2025, शनिवार को मनाया जाएगा। कुछ स्थानों पर यह भ्रम फैलाया जा रहा है कि “शनिवार होने के कारण रक्षाबंधन नहीं मनाना चाहिए”, लेकिन धार्मिक शास्त्रों के अनुसार रक्षाबंधन किसी भी वार को मनाया जा सकता है, क्योंकि यह किसी दिन विशेष का नहीं बल्कि रिश्ते और श्रद्धा का प्रतीक है। इसलिए शनिवार होने पर भी बिना किसी भय या संकोच के रक्षाबंधन को पूरे उत्साह से मनाएं। राखी बांधने का शुभ मुहूर्त इस प्रकार है – सुबह 6:02 से 10:55 तक, दोपहर 12:32 से 2:10 तक, और शाम 5:05 से 7:09 तक। इन समयों में राखी बांधना अत्यंत शुभ माना जाता है। बहन जब अपने भाई को राखी बांधती है, तो वह उसके मंगलमय जीवन के लिए प्रार्थना करती है और तिलक कर मिठाई खिलाती है। भाई भी उसे उपहार देकर हर परिस्थिति में उसकी रक्षा करने का वचन देता है। भद्राकाल एक विशेष काल होता है जिसे कुछ शुभ कार्यों के लिए वर्जित माना गया है। लेकिन त्योहार और भद्राकाल के बीच का अंतर समझना आवश्यक है। वरिष्ठ पंडितों और धर्मगुरुओं के अनुसार, रक्षाबंधन के लिए भद्राकाल समाप्त होने के बाद राखी बांधना पूर्णत: उचित है। इस वर्ष सुबह कुछ समय तक भद्राकाल रहेगा, लेकिन उसके बाद का समय पूर्णतः शुभ है। आज के समय में सोशल मीडिया के माध्यम से अफवाहें बहुत तेजी से फैलती हैं। कुछ असामाजिक तत्व धार्मिकता और श्रद्धा का गलत लाभ उठाकर लोगों में डर पैदा करते हैं। इससे कई परिवारों में त्योहार मनाने को लेकर असमंजस की स्थिति बनती है, और पारंपरिक आनंद भी खो जाता है। इसलिए हमें सतर्क रहकर ऐसी अफवाहों का शिकार नहीं बनना चाहिए। इस वर्ष रक्षाबंधन शनिवार को होने के कारण कुछ लोग त्योहार को आगे टालने की सोच रहे हैं, लेकिन यह बिल्कुल भी आवश्यक नहीं है। जो लोग चाहें, वे ऊपर बताए गए शुभ मुहूर्तों में राखी बांधकर यह पर्व मना सकते हैं। रक्षाबंधन केवल भाई-बहन के रिश्ते तक सीमित नहीं है। आज कई स्थानों पर रक्षाबंधन के अवसर पर बहनें पुलिसकर्मियों, डॉक्टरों, सैनिकों, अग्निशमन दल के जवानों, शिक्षकों आदि को भी राखी बांधती हैं। इसके पीछे भावना हमेशा सकारात्मक और प्रेरणादायक होती है – जो रक्षा करते हैं, उन्हें सम्मान देना। स्कूलों में छात्राएं अपने सहपाठी छात्रों को राखी बांधती हैं, समाजसेवी महिलाएं वृद्धाश्रम में बुजुर्गों को राखी बांधती हैं, और कुछ बहनें अपने भाइयों के साथ अनाथालय जाकर वहां के बच्चों को राखी बांधती हैं। इससे रक्षाबंधन का असली उद्देश्य – प्रेम, सुरक्षा और एकता का संदेश समाज तक पहुँचता है। रक्षाबंधन का त्योहार हमारे जीवन में भाई-बहन के रिश्ते को मजबूती प्रदान करता है। शास्त्र, परंपरा और श्रद्धा – इन तीनों के आधार पर यदि त्योहार मनाए जाएं तो वे हमारे आनंद को और बढ़ा देते हैं। अफवाहों से दूर रहकर, सतर्क रहते हुए, और उचित समय का पालन कर के रक्षाबंधन मनाना हमारी ज़िम्मेदारी है। राखी केवल एक धागा नहीं, बल्कि वह प्रेम, सुरक्षा और रिश्तों की डोर होती है। तो आइए, इस रक्षाबंधन किसी भी भ्रम में न पड़ें, उचित मुहूर्त में, पूरी श्रद्धा और प्रसन्नता के साथ यह पवित्र पर्व मनाएं। रक्षाबंधन की सभी को हार्दिक शुभकामनाएं! अधिक जानकारी के लिए संपर्क करें: ज्योतिष शास्त्रज्ञ समाधान गुरुजी जरगावकर – 9822588170

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